
Sanitation is also a severe challenge in India– many villages have never had a toilet facility. Women and children are especially vulnerable to unsanitary conditions, which lead to sickness and even death.
uses government data and meetings with local people to prioritize toilets for the most socially disadvantaged families. ACCORD is funding Groups of people for construction of toilets in low-income households at village “Karauta” to become a खुले में शौच मुक्त गांव.
ACCORD is organized awareness workshop with various Govt. officers and gram panchyat Mukhiya Prem Prakash in the village Karauta, Bakhityarpur, Patna. On this occasion speakers delivers there views and technics to construct toilets and make village clean and ODF.
इस मौके पे डीडीसी, पटना ने बताया कि खुले में शौच मुक्त कार्य को जन-आंदोलन के रूप में लेते हुए सभी अधिकारियों, मुखिया ,पंचायती राज सदस्यों, आंगनवाड़ी वर्करों, सामाजिक संस्थाओं ऐच्छिक संगठनों से जुड़े लोगों, की सहभागिता के साथ गावँ को आगामी 31 दिसंबर 2016 तक खुले में शौच मुक्त घोषित किया जाएगा।
SDM ने भी जल्द से जल्द करौता गांव को खुले में सौच मुक्त बनाने का संकल्प गांव वासी को दिलाया | जिससे गांव को ओडीएफ अर्थात खुले में शौच मुक्त घोषित किया जा सके |
मौके पे सभा की अध्य्क्षता कर रहे मुखिया प्रेम प्रकाश ने भी करौटा गांव के सभी 4 वार्डो को आगामी 2 महीनो में खुले में सौच मुक्त कराने का वादा जनता से किया और सभी को हर शम्भ्व मदद का भरोसा दिया | उन्होने कहा कि आप की सोच में हुए परिर्वतन से ही आपका गांव खुले में शौच करने की शर्मनाक प्रथा से मुक्त हो सकता है और यह सब कुछ सामुहिक प्रयासों से ही सम्भव हो हो सकता है। उन्होने खुले में शौच करने की प्रवृति को हतोत्साहित करने के लिए बनायी गयी निगरानी समिति को लोगो के घर घर जा के उन्हें इसके बारे में बताने का निर्देश भी दिया |
इस जनसंपर्क अभियान का सफलता पूर्वक संचालन और व्यवस्ता एकॉर्ड एनजीओ के सचिव आनंद केशव ने मुखिया प्रेम प्रकाश के सहयोग से सफलता पुर्वक पूरा किया | इस मौके पे एकॉर्ड एनजीओ के सचिव आनंद केशव ने कहा कि सभी के साझे प्रयास से आगामी 31 दिसंबर तक करौटा गांव को खुले में शौच मुक्त घोषित करने का प्रयास किया जाएगा। इस अभियान को पूरा करने के लिए एकॉर्ड अपनी तरफ से गांव वासियों को शौचालये निर्माण में आर्थिक रूप से भी मदद करेगी जिससे की ये सामाजिक कुरीति का अंत हो सके और गांव की महिलाओं का सम्मान बना रहे | उन्होने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि इस परम्परा को तभी क़ायम रखा जा सकता है, जब सोच को क़ायम रखा जाए। उन्होने कहा कि गांव का ओडीएफ होना ही केवल गौरव की बात नहीं है, बल्कि इससे भी ज्यादा गौरव की बात है कि ग्रामवासियों ने अपनी बहनों, बेटियों, बहुओं और मांओं को वह सम्मान दिया है, जिसकी कामना हर समय उनके दिल में होती थी। कोई भी नारी यह पसंद कर ही नहीं सकती कि खुले आसमान के नीचे वह अपने जिस्म को खोले। नारी का सम्मान घर में बने शौचालय के प्रयोग से ही सम्भव है, घर से बाहर जा कर शौच क्रिया से उनके नारीत्व का अपमान होता है और मानसिक पीड़ा उन्हें अलग से सहन करना पड़ती है।
‘खुले में शौच’ मुक्त बनाने के लिए आयोजित समीक्षा बैठक फिर जल्द ही बुलाये जाएगी |
सभी के साझे प्रयास से आगामी 31 दिसंबर तक गांव को खुले में शौच मुक्त घोषित करने का प्रयास किया जाएगा.